Monday, August 8, 2011

सिर्फ़ सेकुलर होना ही काफी नहीं सेकुलर दिखना भी चाहिए।

पिछले महीने हम  फलोदी (जोधपुर) के गांवों मे किशोर-किशोरियों का साक्षात्कार कर रहे थे। हम जब एक किशोरी के घर गए तब बाहर चारपाई डालकर लड्की के पिता और गाँव का ही कोई अन्य बुजुर्ग बैठे हुए थे। हमारे लिए कुर्सियाँ लगाई गईं। हमने बैठ कर बात चीत शुरू की और अपने आने का प्रयोजन बताया गया। हम तीन साथी थे। यह घर जनजातीय परिवार का था। मैं पहले ही यह बता देना चाहता हूँ की हमारा कोई भी साथी जाति भेद नहीं रखता है। सबका ग्रामीण लोगों के साथ काम करने का अच्छा खासा अनुभव है। सबकी संवैधानिक मूल्यों मे जबरदस्त आस्था है । काम करने के तरीके पारदर्शिता वाले और लोकतान्त्रिक हैं ।   हमारे वहाँ बैठते ही लड़की स्टैनलेस स्टील के चमचमाते गिलासो को एक ट्रे मे सजाकर पानी लेकर आई। हमारे दो साथियों ने गिलास उठा कर पानी पिया  जबकि एक साथी को प्यास नहीं होगी इसलिए उसने पानी नहीं पिया। मैं अपने साथी के लिए पूरी तरह विश्वस्त हूँ की इसके अलावा कोई दूसरा कारण नहीं होगा। साक्षात्कार शुरू किया हमारा यही साथी लड़की से सवाल पूछ रहा था और मैं जवाबों को  लिख रहा था । समान्यतया एक व्यक्ति ही साक्षात्कार करता है चूंकि यह दिन का आखिरी था इसलिए सहूलियत के लिए दो जने कर रहे थे। यह साक्षात्कार लगभग दो घंटे तक चला । साक्षात्कार के बीच में  हमारे साथी को प्यास लगी तो गाड़ी में से पानी की बोतल लेकर पानी पी लिया। इसके बाद संयोग या दुर्योग जो सवाल पूछा जाना था वो यूं था -  "क्या आप अपने आसपास किसी तरह का भेदभाव होते हुए देखती हैं ?" लड़की जवाब देने से पहले सोच रही थी लेकिन लड़की के पिता ने सोचने मे बिलकुल भी वक़्त ज़ाया नहीं किया " क्या बात करते हैं आप, फिजूल की बाते हैं ... आप खुद ही भेदभाव कर रहे हैं । अभी आपने मेरे घर का पानी नहीं पिया ... अपनी गाड़ी से बोतल लेकर पानी पिया ... । " इसके बाद हमारी स्थिति ऐसी थी कि काटो तो खून नहीं। यूं तो उनको समझाने और संतुष्ट करने की तर्क और दलीले हज़ार थी और वे समझे भी लेकिन हमारा दिल जानता है कि अब हमारी बात मे असर कितना रह गया था ? इस घटना से ज़िंदगी का बहुत बड़ा सबक सीखा । आप भले दिल से बहुत सेकुलर हो लेकिन अगर लोगों के बीच सेकुलर दिखाई नहीं देते है तो कभी आपकी बात मे असर नहीं आएगा। लोगों को आपके प्रति विभ्रम ही होगा।

1 comment:

  1. aap jo likhte ho usme jivntataa hoti h ek chavi bnti h ki kya ho rha hoga.lekin jo aapke ssthee ne kiya usme mujhe esha kuch nhi lga jo non skyular lagne jaisa ho.
    aap ke dwara ldki ke papa se hone wali baat pr vichar krne ki jarurat lagti h
    NOT- aapke likhe hua pr kuch khna accha lagta h kyonki usme self learning hoti hui lagti h.

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