Tuesday, August 4, 2020

नुक्ते का उच्चारण और उच्चारण का नुक्ता

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बात शायद लगभग 20 साल पहले की है जब हम एक जुनून के साथ थियेटर में लगे हुए थे। थोड़ा वरिष्ठता का भान भी हो चला था और हर नए जने को सिखा देने वाला जोश  भी था। एक बार एक नाटक का चयन किया जिसमें उर्दू के शब्द अधिक थे।  उच्चारण में परेशानी होना स्वाभाविक ही है। क्योंकि अरबी फारसी की कुछ ध्वनियां हिंदी में नहीं हैं। 

हमने भी एक दिन भाषा की पाठशाला खोल दी। बताया कि बहुत उर्दू की पांच वर्णमाला की पांच ध्वनियों पर उर्दू के शब्दों पर नुक्ता लगाकर उच्चरण किया जाता है-क़, ख़ ग़, ज़, फ़ और फिर ध्वनियों के उच्चारण की लंबी कवायद शुरू हो गई। लगा कि सब कुछ ठीक रहा। कुछ दिन रिहर्सल की भी आई गई हो गई। फिर एक दिन अभिनेताओं से मिले तो एक-दो के उच्चारण अपनी बातचीत में नुक्तों की बौछार कर रहे थे। जिन शब्दों में नुक्ते नहीं लगते वे शब्द भी नुक्तों से सुशोभित हो रहे थे।

समझ मे आया कि यह गफलत भाषा की पाठशाला में ही हो गई। 

  1. दअसल उच्चारण में शुद्ध अशुद्ध जैसा कुछ नहीं होता है। भाषा में हमेशा ताजगी बनी रहती है। वह कभी बासी नहीं होती क्योंकि वह बदलती रहती है। 

  2. हमे लगा कि भाषा एक जीवंत माध्यम है और हमने उसके साथ छेड़छाड़ कर दी। दरअसल हमें करेक्टर की भाषा के बदले में एक्टर की भाषा में छेड़छाड़ कर दी। जबकि एक्टर की भाषा एक जीवंत भाषा है जो सदियों की यात्रा तय करके उस तक पहुंची है। उसको हम सुधारने बैठ जाते हैं। उसके जीवन मे गजल और ग़ज़ल दोनों शब्द एक साथ रह सकते हैं। हो सकता है उसका गजल उसकी बोली में किसी लोक कलाकार की गायकी से आया हो। हो सकता है अरबी फारसी का कोई शब्द कबीर की सधुक्कड़ी इंजिनयरिंग से उसकी भाषा मे आया हो तो अब आप उसकी मरम्मत करने मत बैठिये। अब आप उसे ग़ालिब  वाला ग़ज़ल का भी उच्चारण बता दीजिए। हम सब मल्टीकिंगऊअल होते हैं दोनों को एक साथ सहेज का रख सकते हैं और प्रयोग भी कर सकते हैं। यहीं इंसान का जबरदस्त भाषाई कौशल है। हमें अभिनेता की अपनी भाषा का एहतराम करना चाहिए।

  3. दरअसल इन अभिनेताओं ने ध्वलियों का निरर्थक अभ्यास कर लिया

  4. आम तौर पर हम भाषा मे शब्दों का उच्चारण करते हैं, ध्वनियों का नहीं ध्वनियों को हम समझने के लिए अलग करके देखते हैं। इसलिए ध्वनियों का उच्चारण अभ्यास शब्दों में ही हो शब्दो से बाहर नहीं। शब्द ही भाषा की सार्थक उच्चारण इकाई है। 

  5. हमें यह कहने से बचना होगा कि नुक्ता ग, ख, फ पर लगा है बनिस्पत यह बताना चाहिए कि ये अलग ही ध्वनियां हैं। अन्यथा अभिनेता अनावश्यक नुक्ताकरण की प्रवृत्ति पकड़ लेगा। 

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