रंग चिंतन


  1. सामूहिक अचेतन में धँसी टुकड़ा-टुकड़ा तस्वीरों को नाटक ही जोड़कर बाहर ला सकता है।
  2. दूसरे के जूते में पैर रख के देखो
  3. World Theatre Day : आओ, लोगों को नाटक का चस्का लगाएँ
  4. ग्रीष्म नाट्य उत्सव 2017 : उसके इंतज़ार में उर्फ आखिर तक सुर बदल गया
  5. द मैरिज प्रोपोज़ल : अरण्य में कहकहे तलाशता एक हास्य
  6. अलवर की एक शाम किस्सागोई के नाम - दलीप वैरागी
  7. नाटक केवल प्रॉडक्ट नहीं होता
  8. अलवर रंग महोत्सव: एक खूबसूरत नाट्यानुभव
  9. स्वरांजलि संगीत क्लब की एक सुरमयी शाम
  10. हास्य नाट्य समारोह के ठहाकों की गूंज अलवर की फिज़ाओं में कई दिन तक रहेगी
  11. मोहन से महात्मा और नाटक
  12. एक अमेच्योर एक्टर की डायरी - 1 : रटें या रमें
  13. नाटक को पाठशाला से प्रेक्षागृह में निर्देशक बदलता है
  14. इनके नाम क्या केवल कोड नंबर हैं
  15. सुलभ संगीत कितना सुगम ?
  16. विश्व रंगमंच दिवस : समस्याओं से जूझता अलवर का रंगमंच
  17. नाटक और रटना
  18. थिएटर ज़िंदगी के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना मॉर्निंग वॉक या वर्जिश
  19. अंकुरजी उवाच : रगमंच जैसी विधा पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती।
  20. रंगमंच (Theatre) : वंचित वर्ग की शिक्षा का माध्यम को हमेशा हाशिये पर रखा गया है।


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अलवर में 'पार्क' का मंचन : समानुभूति के स्तर पर दर्शकों को छूता एक नाट्यनुभाव

  रविवार, 13 अगस्त 2023 को हरुमल तोलानी ऑडीटोरियम, अलवर में मानव कौल लिखित तथा युवा रंगकर्मी हितेश जैमन द्वारा निर्देशित नाटक ‘पार्क’ का मंच...