आज आखिर कपिल सिब्बल ने पिछले साल किए वादे को पूरा करते हुए दुनिया का सबसे सस्ता लैपटाप “आकाश टेबलेट” आज लॉंच कर दिया । राजस्थान आईआईटी आर ब्रिटेन की एक कंपनी के संयुक्त प्रयास से यह संभव हो पाया है । इस योजना को काफी महत्वकांक्षी व उम्मीद भरी दृष्टि से देखा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि जो टेबलेट पीसी आज बाज़ार मे 10 – 11 हज़ार रुपए मे मिल रहे हैं वही सरकार को 2200 रुपए मे पड़ रहा है और सरकार इस पर सबसिडी देकर मात्र 1100 रुपए उपलब्ध करवा रही है।
इस योजना के पीछे सरकार का सोच है कि लैपटाप जैसी महंगी तकनीक महंगी होने के कारण सबसे गरीब व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाती है। मंशा है कि कम से कम कीमत में लेटेस्ट टक्नोलोजी गरीब विद्यार्थियों के हाथ में देना ताकि वे ज्ञान की दुनिया तक पहुँच बनाने की हैसियत पा सकें। इसमे कोई दोराय नहीं कि अगर इस योजना का ईमानदारी से क्रियान्वयन होता है तो यह गरीग के साथ-साथ इस मुल्क का कायाकल्प कर सकती है । लेकिन अपने यहाँ सुविधाओं और योजनाओं को गरीब की चौखट से मुँह मोड़ कर वापस लौट आने की आदत है।
इस तरह की बातें कहने में बहुत पीड़ा होती है लेकिन क्या करें यहाँ का जमीनी यथार्थ ऐसा ही है। पिछले चार-पाँच सालों से कुछ स्कूलों मे जाना होता रहा है। सरकारी स्कूलों में कंप्यूटरिकरण की योजनाओं को दम तोड़ते देखा है। स्कूलों मे कंप्यूटर तो पहुँच गए हैं लेकिन आज तक किसी इन्टरनेट नेटवर्क से नहीं जुड़ पाये हैं तमाम प्रयासों के बावजूद । जबकि मॉडेम खरीदने, मासिक बिल भरने के बजट मे प्रावधान हैं तथा साथ मे एजुकेशन कमिश्नर का कनैक्शन लेने का अनुमति पत्र भी । अब बताओ एक सरकारी व्यवस्था मे और क्या चाहिए? लेकिन टीचर सालों से एक ही बात कह रहे हैं कि अप्लाई कर रखा है। यह दलील उस युग मे दी जा रही है जब तमाम कंपनियों के प्रतिनिधि दोहरे होकर कनैक्शन देने के लिए खड़े हो जाते हैं और शाम होने से पहले एक्टिवेट कर देते हैं। दरअसल सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद टीचर नेट कनैक्शन नहीं ले रहे हैं । उन्हें भय कि अगर नेट कनैक्शन लग गया तो स्टूडेंट्स सारी दुनिया से जुड़ जाएंगे। और जो अनियमितताएँ टीचर कर रहे हैं चाहे वह मिड डे मील मे हो या बिल्डिंग निर्माण के घपले या और कुछ । बच्चे सब कुछ देखते हैं । वे मेल कर सकते हैं एजुकेशन कमिश्नर को, शिक्षा मंत्री को , भारत के राष्ट्रपति को या पूरी दुनिया मे कहीं भी । बच्चे तो बच्चे होते हैं । सच के ज्यादा निकट होते हैं । सच बोल सकते हैं, सच खोल सकते हैं । बस उनको सुनने वाला होना चाहिए । नेट लग जाने से बच्चे मिनटों में बहुतों को बेपरदा कर सकते हैं। इस लिए जब तक नेट न लगे तो ....
ईश्वर करे “आकाश टेबलेट” सफल हो । लेकिन आशंका तो यहाँ भी व्याप्ति है कि जब मॉडेम आज तक नहीं पहुंचे तो वाई-फ़ाई कब तक होगा । ये टेबलेट पीसी भले ही गरीब बच्चों तक पहुँच जाएँ लेकिन कनेक्टिविटी के बिना तो ये महज म्यूजिक स्टोरेज डिवाइस भर बनके रह जाएंगे । अगर सरकार वास्तव मे ही सबसे गरीब को लाभ पहुंचाना चाहती है तो इस स्कीम की सही मॉनिटरिंग और फॉलोअप होना चाहिए ।
इस टेबलेट की तो हम भी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ReplyDeleteसुविधाओं को आदत है, ठीक गरीब की चौखट से मुंह मोड़ लेती हैं ।
ReplyDelete.
kya marke ki bat kah di dalip bhai...
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