Thursday, September 3, 2015

लघु नाटिका - सब कुछ सड़क पर...

(इस लघु नाटिका को जयपुर शहर के मोती कटला माध्यमिक विद्यालय की लड़कियों के साथ नाट्यकार्यशाला के लिए लिखा गया था। इसका मंचन 6 जून 2015 को बिड़ला ऑडीटोरियम में किया गया।)

सूत्रधार    : नमस्कार
कोरस    : आदाब, सतश्रीअकाल
सूत्रधार   : हमारी टीम ने एक नाटक तैयार किया है।
कोरस    : कैसा नाटक, कौनसा नाटक?
सूत्रधार            : इस नाटक के माध्यम से हम...
कोरस    : सन्देश देंगे... उपदेश देंगे... बड़ी-बड़ी बाते करेंगे...
सूत्रधार            : अरे नहीं भाई
कोरस    : तो फिर क्या है आपके नाटक में?
सूत्रधार            : इस नाटक में एक कहानी है...
एक       : और वो कहानी शर्म से पानी पानी है।
दो        : पूरी स्टोरी सड़ी-गली है।
तीन      : इस नाटक में इस शहर की हर गली है।
चार      : इस नाटक में कचरे की भरमार है।
पाँच      : पूरा नाटक ही बदबूदार है।
छः, सात : अजब सा नाटक!
आठ, नौ : गजब का गजब का नाटक !!
कोरस    :  .....अजब का नाटक,
          गजब का नाटक।
          अहा जी नाटक,
          वाह जी नाटक।
          यहाँ भी नाटक,
          वहां भी नाटक।
सूत्रधार            : अरे रुकिए भाई, रुकिए... बैठिये जी बैठिये... पहले मैं इस नाटक की स्टार कास्ट से तो आपका      परिचय करवा दूँ... एक-एक करके आइए और अपना परिचय दीजिए...
मेहरबान... कदरदान... हमारे स्टार कलाकारों के लिए जोरदार ताली बजाइयेगा..नहीं तो बाद में पछताइयेगा... तालियाँ
एक      : मेरा नाम शालिनी है। मैं एक शिशिका  हूँ। मैं बच्चों को पढ़ाती हूँ। और मैं...
कोरस   : कचरा भी फैलता हूँ।
एक      : कौन बोला?
कोरस   : (छोटे बच्चों की तरह) कोई नहीं मैडम जी।
दो       : मेरा नाम आनंद है। मैं एक इंजीनियर हूँ। मैं बड़े-बड़े पुल व बिल्डिंग्स बनाता हूँ। और मैं...
कोरस   : कचरा भी फैलता हूँ।
दो       : क्या?
कोरस   : जी हाँ साहब।
तीन     : मेरा नाम सुषमा है। मैं एक हाउस वाइफ हूँ। मैं घर का सारा काम करती हूँ। और मैं...
कोरस   : कचरा भी फैलाती हूँ।
तीन     : क्या? (डाँटते हुए)
कोरस   : सॉरी मम्मी जी।
चार     : मेरा नाम राजू है। मैं एक डॉक्टर हूँ। लोगों का इलाज करता हूँ और मैं...
कोरस   : कचरा भी फैलाता हूँ।
चार     : क्या?
कोरस   : जी हाँ जनाब
पाँच     : मेरा नाम सिमरन है। मैं एक टूरिस्ट हूँ। जगह-जगह घूमती हूँ और...
कोरस   : कचरा भी फैलाती हूँ।
छः       : मेरा नाम रामलाल है। मैं किराने का व्यापारी हूँ और मैं...
कोरस   : कचरा भी फैलाता हूँ।
सात     : क्या कहा?
कोरस   : सही कहा
आठ     : मेरा नाम शाहरुख़ है। मैं एक विद्यार्थी हूँ। हमेशा क्लास में अव्वल आता हूँ और मैं...
कोरस   : कचरा भी फैलाता हूँ
आठ     : क्या कहा
नौ, दस           : बिलकुल सच।
कोरस   : .......सच सच बिलकुल सच
          बात कहेंगे सारी सच
          चाहे तो लग जाए धक्
          धक् धक् धक् धक्....
(कोरस लगातार दोहराते हुए घूमता है।)
दृश्य - 1
(दो व्यक्ति कार में बैठे हैं। एक ड्राइव कर रहा है तथा दो की गोद में बच्चा है।)
एक      : सॉरी आज कंस्ट्रक्शन साइट पर देर हो गई।
दो       : इट्स ओके..... ला...लल्ल ..ला... ओह इसने तो सूसू कर दिया।
एक      : जल्दी से इसका डाइपर बदलो।
दो       : (डाइपर बदलती है।)  अरे इसका कांच तो खोलो। ( डाइपर को बहार डालने के लिए हाथ बहार  निकलती है)
कोरस   : (ज़ोर से चिल्लाकर) ये sss फैंका sss...स्कूटर वाले के मुंह पे।
बात कहेंगे सारी सच
चाहे तो लग जाए धक
दृश्य - 2
तीन     : नमस्ते गुरूजी आपका स्कूल कैसा चल रहा है?
चार     : बहुत अच्छा चल रहा है।
पाँच     : छोड़ो यार चाय पीते हैं।
तीनो    : चलो ( एक थड़ी पर बैठ कर चाय पीते हैं और चाय ख़त्म होने पर डिस्पोजल कप को एक साथ गली में डालने का अभिनय करते हैं।)
कोरस   : (जोर से चिल्लाकर) ये ssss फैंका ssss
दृश्य - 3
छः       : (झाड़ू लगा रही है।)
सात     : रज्जो sss
आठ     : माँ मैं खेलने जा रही हूँ।
सात     : इसे फैंक के आओ
आठ     : कहाँ डालना है माँ?
कोरस   : बहार गली में
आठ     : (फैंकने का अभिनय करती है)
कोरस   : ये ssss फैंका sss
बात कहेंगे सारी सच
चाहे तो लग जाए धक
दृश्य - 4
नौ       : वाओ !... वंडरफुल !!
दस      : ब्यूटीफुल सिटी
नौ       : कितनी गर्मी है यहाँ
दस      : लो पानी पियो। ( दोनों बोतलों से पानी पीते है। एक साँस में ख़त्म करते हैं और वहीं डाल देते हैं।)
कोरस   : ये sss फैंका sss
ये फैंका वो फैंका
इधर फैंका उधर फैंका
यहाँ फैंका वहाँ फैंका
(सब एक घेरे में आते है। आधा घेरा भी हो सकता है।)
कोरस   : हम सब भारतवासी हैं।
हिन्दू - मुस्लिम
सिख - ईसाई
अमीर-गरीब
शहरी-ग्रामीण
पढ़े-अनपढ़े
हम सब में गजब की एकता है -
शैम्पू का खली पाउच
डिस्पोजल कप
तेल की खाली शीशी
पानी की बोतल
घर का कचरा
बच्चे का डाइपर
गुटखे की पीक
फैंक देते है हम
सारे सड़क पर
सारे सड़क पर......
सूत्रधार : तो साहब यह नाटक यही समाप्त होता है।
एक      : रुकिए
दो       : ऐसा क्यों होताहै...
तीन     : एक तरफ हम सफाई पसंद करते हैं और...
चार     : दूसरी और हम गंदगी फैलते हैं।
कोरस   : बताओ... बताओ... बताओ...
सूत्रधार           : मुझसे नहीं, इनसे पूछो ( दर्शकों की और इशारा करते हुए।)
कोरस   : बताइये... बताइए आप बताइए ही बताइये
सूत्रधार सवालों के माध्यम से दर्शकों से इस मुद्दे पर बात करता है? कोशिश यह होनी चाहिए कि दर्शक खुल कर इस चर्चा में भाग लें 
रंगमंच तथा विविध विषय पर मेरे वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/user/dalipvairagi/featured?view_as=subscriber
(कृपया अपनी टिप्पणी अवश्य दें। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो शेयर ज़रूर करें।  इससे इन्टरनेट पर हिन्दी को बढ़ावा मिलेगा तथा  मेरी नाट्यकला व  लेखन को प्रोत्साहन मिलेगा। ) 

दलीप वैरागी 
09928986983 


22 comments:

  1. I like this site and it is a good लघु नाटिका

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  2. I like this site and it is a good लघु नाटिका

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  3. बहुत रोचक अंदाज में स्वच्छता का महत्व बताता नाटक..बधाई !

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  4. बहुत अच्छा है भाई साहब और कोई हो तो हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर एक स्क्रिप्ट दें हमारा WhatsApp नंबर है 8051274487

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  5. Very good bhai .
    Mujhe bhi gandagi pe ek video banani hai to plz aap mujhe ek 4-5 minute ki script dene ki kripa kare.
    Bhai aapki script mujhe bahut pasand aayi.
    Mera whatsapp no. 9057353231 hai.
    Plz contact me bhai.
    Thanks bhai

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  6. बहुत सुंदर रचना

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  7. बहुत सुंदर रचना

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  8. sir hame bhee ek choti si pathkatha likhkar de hamare project ma kam aayegi MERA WHATSAPP NUMBER HAI 9758193304

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  9. Bahut acchha.. aur natak post kijiye

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  10. सौभाग्य से यह बेहतरीन रचना पढ़कर लाभांवित हुआ। बेहतरीन शिल्प और सुगठित संदेश वाहक सृजन। हार्दिक बधाई।

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  11. आप एक बेहतरीन लेखक है। एवं आप की प्रस्तुत रचना भी एकदम सटीक प्रहार करने वाली हैं।🙏👍🌹💐

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  12. please write a Natak for me about make people aware about their right to vote.

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  13. i am happy with your creation your natak "sab kuchh sadak par " nicely indicate the problem of our society.nice

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  14. i am happy with your creation your natak "sab kuchh sadak par " nicely indicate the problem of our society.nice

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  15. हमें यह नाटक बहुत अच्छा लगा।
    आप इसी प्रकार नाटक लिखते रहिये
    और हमें अच्छी स्क्रीप्ट मिलती रहे



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  16. बहुत बढिया लिखा है...

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अलवर में 'पार्क' का मंचन : समानुभूति के स्तर पर दर्शकों को छूता एक नाट्यनुभाव

  रविवार, 13 अगस्त 2023 को हरुमल तोलानी ऑडीटोरियम, अलवर में मानव कौल लिखित तथा युवा रंगकर्मी हितेश जैमन द्वारा निर्देशित नाटक ‘पार्क’ का मंच...