Monday, December 3, 2012

एक (अ)कवि मित्र के लिए (अ)कविता

कविता में
कवि –
“न्याय सत्त
बराबरी सत्त
प्यार सत्त
वफा सत्त
विश्वास सत्त
यह भी सत्त
वह भी सत्त”
कविता के बाहर –
सत्त का
“राम नाम सत्त...”

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दलीप वैरागी 
09928986983 









5 comments:

  1. सही कहा भाई....

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  2. somewhere down the line we are all responsible .we lack the courage to talk openly straight upfront and tear down the false facade.

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  3. ek kalakar kabhi ek bankar nahi rah sakta uske do bhag hote h ek jo wo apne liye h matlab ek kalakar or dusra wo jo dunia ke liye h matlab ek aadmi.
    jab wo aadmi rahta h to usme ram nam satt ka hi asar hota h liken kalakar ek adarshwad ko jahir karta h

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