कविता में
कवि –
“न्याय सत्त
बराबरी सत्त
प्यार सत्त
वफा सत्त
विश्वास सत्त
यह भी सत्त
वह भी सत्त”
कविता के बाहर –
सत्त का
“राम नाम सत्त...”
कवि –
“न्याय सत्त
बराबरी सत्त
प्यार सत्त
वफा सत्त
विश्वास सत्त
यह भी सत्त
वह भी सत्त”
कविता के बाहर –
सत्त का
“राम नाम सत्त...”
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दलीप वैरागी
09928986983
09928986983
sahi hai bhai......
ReplyDeleteसही कहा भाई....
ReplyDeletesatt bolo gatt hai
ReplyDeletesomewhere down the line we are all responsible .we lack the courage to talk openly straight upfront and tear down the false facade.
ReplyDeleteek kalakar kabhi ek bankar nahi rah sakta uske do bhag hote h ek jo wo apne liye h matlab ek kalakar or dusra wo jo dunia ke liye h matlab ek aadmi.
ReplyDeletejab wo aadmi rahta h to usme ram nam satt ka hi asar hota h liken kalakar ek adarshwad ko jahir karta h