कल अजमेर ज़िले के पिसांगन ब्लॉक के गांवों मे कुछ किशोरों के साक्षात्कार कर रहे थे। इनमे एक किशोर बीरम था । बीरम 19 साल का है। साक्षात्कार के दरम्यान ही जब बीरम को एक हिन्दी मे लिखा अनुच्छेद पढ़ने को दिया तो उसको देखकर बीरम ने ऐसी अरुचि दिखाई " मैं नहीं पढ़ सकता ... मेरा पढ़ने मे दिमाग ही नहीं लगता है" हालांकि उसने हिसाब के अधिकतर सवाल हल कर दिये। हमने उसे कहा चलो हम कुछ बोलते हैं और तुम लिखो । उसने कुछ भी लिखने से मना कर दिया।
खैर हमने सवालों का सिलसिला आगे बढ़ाया । एक सवाल था ' आपके पास जब फुर्सत होती है तब क्या करते हो?' उसने झट से कहा " अपने मोबाइल मे गाने सुनता हूँ" इस जवाब ने हमारे अंदर सवालों की झड़ी लगा दी।
क्या बीरम को पढ़ना नहीं आता ?
क्या बीरम पढ़ना भूल चुका है ?
या बीरम को पढ़ने मे मज़ा नहीं आता है?
जवाब इनमे से कोई भी हो सकता है।
लेकिन एक बात है जो बीरम के बारे मे सभी कहते है वह यह कि उसके पास एक मल्टिमीडिया मोबाइल है जिसमे जिसमे वह मज़े से गाने सुनता है। उसने अपने मोबाइल की भाषा बदल कर हिन्दी कर रखी है। वह अपने मोबाइल पर एसएमएस लिख कर दोस्तों को भी भेजता है। ... लेकिन बीरम तो कहता है कि उसे पढ़ना नहीं आता है ... दरअसल मसला क्या है ? मसला सीधा यह है कि बिरम को जो पढ़ने के लिए दिया जाता है उसमे बीरम की कोई रुचि नहीं है । वह उसको अपना सा नहीं लगता ... बीरम को किसमे रुचि है ? यह कोई नहीं जनता ... शायद बीरम ... पक्का पता नहीं ... क्या बीरम की मोबाइल मे रुचि है ... तो बीरम कहता क्यों नहीं? शायद रुचियाँ बताने की जो परंपरागत लिस्ट में है, उसमे उसकी रुचि का शुमार नहीं है .... यह बात पक्की है कि बीरम को मोबाइल से खेलने मे मज़ा आता है ...
क्या बीरम पढ़ सकता है । बीरम को और मौके मिल सकते हैं । मौके उसकी तलाश मे हैं । पहुँच मे भी हैं। लेकिन क्या मौके मिलने से ही बीरम सीख जाएगा ? जी हाँ ! बीरम जरूर सीखेगा अगर उसकी पढ़ाई का ककहरा मोबाइल से शुरू हो । उसकी पहली किताब पौथी न होकर मोबाइल का इनबॉक्स बने तो कुछ बात बन सकती है । बीरम के लिए अभी सभी मौके चुके नहीं है । भले ही बीरम कहता हो कि उसका पढ़ाई मे दिमाग नहीं है । लेकिन मैंने कल बातों ही बातों मे उसके अंदर दबा के रखी पढ़ने कि इच्छा को पंजों के बल खड़े देखा है । इसलिए दोस्तो आप जब अगली बार बीरम से मिलें और उसको पढ़ने की बात करें तो उसके मोबाइल के बारे मे जरूर पूछे। क्योंकि उसकी प्रेरणा का उत्स वहीं पर है।
खैर हमने सवालों का सिलसिला आगे बढ़ाया । एक सवाल था ' आपके पास जब फुर्सत होती है तब क्या करते हो?' उसने झट से कहा " अपने मोबाइल मे गाने सुनता हूँ" इस जवाब ने हमारे अंदर सवालों की झड़ी लगा दी।
क्या बीरम को पढ़ना नहीं आता ?
क्या बीरम पढ़ना भूल चुका है ?
या बीरम को पढ़ने मे मज़ा नहीं आता है?
जवाब इनमे से कोई भी हो सकता है।
लेकिन एक बात है जो बीरम के बारे मे सभी कहते है वह यह कि उसके पास एक मल्टिमीडिया मोबाइल है जिसमे जिसमे वह मज़े से गाने सुनता है। उसने अपने मोबाइल की भाषा बदल कर हिन्दी कर रखी है। वह अपने मोबाइल पर एसएमएस लिख कर दोस्तों को भी भेजता है। ... लेकिन बीरम तो कहता है कि उसे पढ़ना नहीं आता है ... दरअसल मसला क्या है ? मसला सीधा यह है कि बिरम को जो पढ़ने के लिए दिया जाता है उसमे बीरम की कोई रुचि नहीं है । वह उसको अपना सा नहीं लगता ... बीरम को किसमे रुचि है ? यह कोई नहीं जनता ... शायद बीरम ... पक्का पता नहीं ... क्या बीरम की मोबाइल मे रुचि है ... तो बीरम कहता क्यों नहीं? शायद रुचियाँ बताने की जो परंपरागत लिस्ट में है, उसमे उसकी रुचि का शुमार नहीं है .... यह बात पक्की है कि बीरम को मोबाइल से खेलने मे मज़ा आता है ...
क्या बीरम पढ़ सकता है । बीरम को और मौके मिल सकते हैं । मौके उसकी तलाश मे हैं । पहुँच मे भी हैं। लेकिन क्या मौके मिलने से ही बीरम सीख जाएगा ? जी हाँ ! बीरम जरूर सीखेगा अगर उसकी पढ़ाई का ककहरा मोबाइल से शुरू हो । उसकी पहली किताब पौथी न होकर मोबाइल का इनबॉक्स बने तो कुछ बात बन सकती है । बीरम के लिए अभी सभी मौके चुके नहीं है । भले ही बीरम कहता हो कि उसका पढ़ाई मे दिमाग नहीं है । लेकिन मैंने कल बातों ही बातों मे उसके अंदर दबा के रखी पढ़ने कि इच्छा को पंजों के बल खड़े देखा है । इसलिए दोस्तो आप जब अगली बार बीरम से मिलें और उसको पढ़ने की बात करें तो उसके मोबाइल के बारे मे जरूर पूछे। क्योंकि उसकी प्रेरणा का उत्स वहीं पर है।
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