Thursday, September 24, 2020

रसोड़े में कौन था : कविता

#Rasode_Mein_Kaun_Tha

रसोड़े में कौन था?

इस सवाल का जवाब इंसानियत की पीठ में 

धंसा हुआ है बेशर्म इतिहास -सा। 

वर्तमान की छाती पर है किसी अतार्किक चट्टान-सा। 

देख सको तो भविष्य की पेशानी पर भी 

उभर आता है कभी - कभी

भयानक सपने की तरह।  


रसोड़े में कौन था ?

रसोड़े में "था" कभी कोई न था 

वहाँ केवल "थी" थी 

वहाँ केवल "थी" है आज भी 

वह हमेशा से है 

दुनिया के  पहले कैलेंडर की पहली तारीख से भी पहले 

शायद सभ्यता के पहले बिंदु से 

रसोड़े में केवल वही 'थी'

उसने चूल्हे पर 'खाली कूकर' चढ़ा रखा है 

जिसमे वह खौला रही है - 

अपने सपने 

अपनी अपनी इच्छाएँ 

अपनी आकांक्षाएँ 

अपने सुख 

इससे जब भी फुर्सत मिलती है  वह प्रसव करती हैं -

संततियाँ  

आगे बढ़ाती  हैं वंशबेलें 

सेती हैं उनके  सपने 

सींचती हैं उनकी की इच्छाएँ 

उनकी  महत्वकांक्षाएँ  

पालती-पोसती है निरंकुश तानाशाह भी

अपने पूजक 

अपने भंजक 

अपने प्रवंचक 

रसोड़े में आत्म प्रवंचना का विधान है।   


रसोड़े में कौन है ?

रसोड़े में एक अर्थशास्त्र है 

जो चुराता आ रहा है 

आधी आबादी का श्रम

अर्थशास्त्र का कोई भी शब्द -

बंधुआ मजदूरी, बेगारी, बेकारी बेरोजगारी .... 

नाकाफी हैं इस लूट को व्यक्त करने के लिए 

श्रम की इस लूट से

गिरता उठता नहीं है 'सकल घरेलू उत्पाद' 

इस लूट पर  नहीं है किसी भी राष्ट्रीय मीडिया पर  वाद-विवाद 

रसोड़े में श्रम की चोरी का अर्थशास्त्र है। 


रसोड़े में कौन है ? 

रसोड़े में एक पाँच - छः साल की छोटी महिला है 

उसके हाथ में किचन-सेट के छोटे खिलौना बर्तन हैं

खेलते- खेलते वह बड़ी हो रही है 

उसके किचन सेट भी उसके साथ बड़े हो गए हैं 

जो  बाहर  की ओर जाने वाली राह में खड़े हो गए है।

अब उसके लिए दो दुनिया हैं 

एक रसोड़े के अंदर और दूसरी उससे बाहर 

रसोड़े में दुनिया का विभाजन है।  

 

रसोड़े में कौन है ?

देगची में छोंक की मधुर झंकार है 

रोटी से उठती   महक  का अम्बार है

इन दोनों से निर्लिप्त दो आंखे दीवार पर टंगे कैलेंडर पर टिकी हैं

जिसमे रचे गए हैं उसके लिए - 

अमावस पूनम 

तीज,  चौथ, 

ग्यारस बारस 

सोमवार , शनिवार... 

सप्ताह में तीन बार, चार बार  

निराहार, अल्पाहार 

निर्जला व्रत और त्योहार 

दरअसल रसोड़े में आधी आबादी को भूखा रखने का 

एक समाज शास्त्र है।  

लेखन : दलीप वैरागी 

मोबाइल 9928986983 

 




 


 

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