कई बार बहुत ही हास्यास्पद चीज़ें देखने को मिल जाती हैं। आज शाम की बात है। यूं तो जयपुर का जवाहर काला केंद्र खूबसूरत जगह है। अपने स्थापत्य की दृष्टि से तो है ही , इससे भी खूबसूरत है इसका कॉफी हाउस जहां शहर के संस्कृति कर्मी एक जगह बैठ कर चर्चाएँ करते हैं। आज जैसे ही मुख्य द्वार से प्रवेश किया तो अगल-बगल की क्यारियों मे तख्ती पर एक हिदायत लिखी थी। आज़ ध्यान चला गया, लिखा था - फूल तोड़ना मना है। इससे आगे बढ़े १० मीटर की दूरी पर दाहिनी और रंगायन सभागार मंच है । इसके बड़े दरवाजे पर निगाह गई । दरवाजे के दोनों तरफ दो बड़े बुत, एक महिला और एक पुरुष खड़े हैं | शायद रंग मंच देखने आये दर्शकों का स्वागत करने को | दोनों बुतों के हाथ में एक-एक फूल है बकायदा टहनी से जुदा | क्या ये टहनी से नहीं तोड़े गए ? क्या ये हाथ में ही उगे हैं ? दलील हो सकती है कि मूर्तिकार ने ऐसे ही बनाए हैं... लेकिन सवाल यह है कि ये बुत मुख्य द्वार के पास लगी तख्ती की इबारत का कितना समर्थन करते हैं ? यही वजह है कि हमारी बात में कभी असर पैदा नहीं होता, खासकर इस तरह की लिखित हिदायतो के सम्बन्ध में | कहीं लिखा होता है कि यहाँ इश्तिहार लगाना मना है और उसी की बगल में इश्तिहार चस्पा होता है | लिखा होता है कि यहाँ ना थूकें और उसी ऑफिस का कोई बाबू पास की दीवार को पीक विसर्जन से सुर्ख रंगोंआब दे रहा होता है | हम एक जगह पूरी इच्छा से कोई बात लिखते है कि लोग उसका पालन करें लेकिन उसके साथ ही हमारा कुछ न कुछ अलिखित ऐसा होता है जो उलट उसके खिलाफ खड़ा होता है जो लिखित बात में असर पैदा होने ही नहीं देता | बात में असर तो तभी आता है जब मन, वचन व कर्म से संकल्प हो |
Monday, July 25, 2011
सचिन को नोबल दो लेकिन भारत रत्न... सचिन से पहले और भी हैं।
यह पोस्ट मैंने मई महीने मे अपने दूसरे ब्लॉग बतकही पर 'क्या अमिताभ बच्चन की अक़्ल दाढ़ उग रही है' शीर्षक से लिखी थी । इसी पोस्ट मे मैंने सचिन को भारत रत्न देने के संदर्भ मे अपना मत रखा था । अब जब फिर से यह मुद्दा आया है तो मैंने आर्काइव से निकाल कर इस पोस्ट को हवा दी है। |
हमारे यहाँ " अक्ल दाढ़ उगना " मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी युवा में सोचने समझने का कौशल आ जाता है | वह स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने लगता है और अपने साथ-साथ समाज ,देश-दुनिया के बारे में अपनी जिम्मेदारी समझने लगता है तो घर परिवार के लोग युवा में ऐसे लक्षण देख संतोष से कहते हैं कि इसकी "अक्ल दाढ़ उग" रही है |
कल अचानक अमिताभ बच्चन की एक घोषणा से मेरे मन में यही आशंका व्यापी कि क्या बच्चन साहब की भी ... | दरअसल बच्चन साहब ने कल यह कहा कि वे अब किसी भी कोल्ड ड्रिंक का विज्ञापन नहीं करेंगे | उनका कहना है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | यह अचानक इल्हाम उन्हें कैसे हुआ जबकि उनके प्रिय पुत्र श्री अभिषेक बच्चन साल - दो साल पहले कर चुके हैं | उससे भी पहले भारत के बैडमिंटन स्टार खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद अपने कैरियर के उत्कर्ष पर ताल ठोक कर कह चुके हैं , " मैं उस किसी भी चीज को पीने के लिए लोगों से नहीं कह सकता, जिसको मैं खुद नहीं पी सकता | " अगर मेरी मानी जाए तो सिर्फ इसी बात के लिए ही गोपीचंद को 'भारत रत्न' दिया जाना चाहिए था | यह बहुत बड़ी बात है और विशुद्ध गांधीवादी उसूल भी है | गाँधी भी वही बात दूसरों को करने के लिए कहते थे जिसको खुद पर परख कर देख लेते थे | आज जब सचिन तेंदुलकर को 'भारत रत्न' देने की मांग उठती है तो मन के किसी कोने में थोड़ी सी कडवाहट आ जाती है | निसंदेह सचिन शताब्दी के महान खिलाड़ी हैं और अगर खेलों के लिए नोबल मिलता हो तो सचिन को सबसे पहले मिलना चाहिए लेकिन 'भारत रत्न' के लिए क्या इतना ही काफी है ? क्या भारत रत्न करोड़ों हिंदुस्तानियों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर सकता है | क्या सचिन की पिच के बीच जो दोड़ने की स्पीड है क्या वह उन्होंने पेप्सी या कोका पी कर हासिल की थी | सचिन को बताना चाहिए कि जब वह मैदन के सुबह उठ कर चक्कर लगते थे तो उनकी माँ उन्हें पेप्सी नहीं दूध पिलाती थी | सचिन को अगर भारत रत्न बनना है तो उन्हें अपने खिलाड़ी बनने के सही एजेंडे को उजागर करना चाहिए और किसी भी कम्पनी के प्रोडक्ट बेचें लेकिन करोड़ों युवाओं के स्वास्थ्य कि अनदेखी ना करें | अमिताब में भी दो अमिताभ दिखाई देते हैं एक गरीबों का मसीहा एंग्री यंग मैंन और दूसरे फटी एडियों और फटे होठों पर बोरो प्लस मलते , या सर दर्द या अनिद्रा के लिए नव रत्न तेल मलते अमिताभ बच्चन | बच्चन साब आप कब समझोगे कि ये मसले आपके नहीं किसी डॉक्टर के हैं | जिस उम्र में थोडा सा मीठा भी शरीर में ज़हर बनके दौड़ने लगता है उस उम्र में " कुछ मीठा हो जाए " कह कर आप लोगों को चोकलेट खाने को कह रहे हैं | खैर अमिताभ बच्चन से जब टीवी रिपोर्टर ने पूछा कि आप कल तक तो शीतल पेय कम्पनी के विज्ञापन करते रहे हैं और अब आप अचानक कह रहे हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है | इसके जवाब में अमिताभ बच्चन ने कहा कि मैं एक स्कूल में गया वहाँ एक छोटी बच्ची ने कहा " सर आप कोल्ड ड्रिंक का विज्ञापन क्यों करते हैं जबकि हमारे स्कूल में तो पढ़ाते है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है " इतने बड़े आदमी को राह एक छोटा बच्चा ही राह दिखा सकता है | " राजा नंगा है " यह यह बात सरे आम निर्भीकता से एक छोटा बच्चा ही कह सकता है | मुझे इंतज़ार है उस दिन का जब शाहरुख , आमिर ,धोनी और सचिन को कोई छोटा बच्चा बीच जुलुस में चिल्ला कर कहेगा " राजा नंगा है " तब इनके मसूड़े की कठोर त्वचा को फाड़ अक्ल दाढ़ निकलेगी |
अलवर में 'पार्क' का मंचन : समानुभूति के स्तर पर दर्शकों को छूता एक नाट्यनुभाव
रविवार, 13 अगस्त 2023 को हरुमल तोलानी ऑडीटोरियम, अलवर में मानव कौल लिखित तथा युवा रंगकर्मी हितेश जैमन द्वारा निर्देशित नाटक ‘पार्क’ का मंच...
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पूर्वरंग इस एकल नाटक की पृष्ठभूमि में एक दुस्वप्न है। वह बुरा सपना हमने अपने बचपन में देखा था। यह शीत-युद्ध के आखिर का दौर था। दु...
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(इस लघु नाटिका को जयपुर शहर के मोती कटला माध्यमिक विद्यालय की लड़कियों के साथ नाट्यकार्यशाला के लिए लिखा गया था। इसका मंचन 6 जून 2015 को ब...
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रविवार, 13 अगस्त 2023 को हरुमल तोलानी ऑडीटोरियम, अलवर में मानव कौल लिखित तथा युवा रंगकर्मी हितेश जैमन द्वारा निर्देशित नाटक ‘पार्क’ का मंच...