यह नाटक कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय तबीजी, अजमेर की लड़कियों के साथ नाट्य कार्यशाला के दौरान तैयार किया गया।
- (मंच पर टोली आकार
गाना शुरू करती है। दो गायक पहले गाते हैं बाकी समूह उन पंक्तियों को दोहराता है।)
गायक : आइए करें तमाशा जी,
आइए करें तमाशा जी।
सुनिए अपनी भाषा जी,
सुनिए अपनी भाषा जी।
ओ रे ओ मेरे देश के वासी
ओ रे ओ मेरे गाँव के वासी
गाँव के वासी, शहर के वासी
घर के वासी गली वासी
कोरस : आइए करें तमाशा जी ....
गायक : चाचा
आओ, चाची आओ,
काका – काकी आप भी आओ
चिंटू मोनू का साथ में लाओ,
गोलु को तुम गोद खिलाओ
खाते आओ, गाते आओ
आइए मम्मी पापा जी .....
एक :
लो भाई आगे, अब बोलो
गायक 1,2 : ( उसे आदर से दर्शकों में बैठते है। )
आओ बैठो नाटक देखो
नाक के खोल के फाटक देखो
कोरस : नहीं
गायक : दांत के खोल के फाटक देखो
कोरस : नहीं जी
गायक : आँख के खोल के फाटक देखो
कोरस : अरे नहीं भाई
सब : कान के खोल के फाटक देखो
आइए करें तमाशा जी ....
दो :
अरे भाई क्या है आपके नाटक में?
गायक :
इस नाटक में बड़े-बड़े हैं
पेड़ों जैसे अड़े खड़े हैं
रीत रिवाज गले सड़े है
माल दबाए चोर खड़े हैं
तीर तमंचा तान खड़े है
तीन व चार : ( दोनों गायकों के कनपटी पर पिस्टल तानने
का अभिनय)
ठाँय – ठाँय
गायक : कहीं नहीं होती सुनवाई
कितना ही चिल्ला लो भाई
ऐसा क्यों होता है भाई...
(कलाकारों की
मंडली भाग कर मंच पर आती है।)
गायक : अरे भाई कौन हो? क्यों घुसे चले आ रहे हो?
अभिनेता : हो गया आपका तमाशा... अब अपना पेटी-बाजा
उठाये और प्रस्थान कीजिए
गायक : क्यों ?
अभिनेता : अब हमारा रोल है।
(गाते हुए
निकाल जाते हैं। )
आइए करें तमाशा जी ...
सूत्रधार : नमस्कार ... हमारे नाटक में एक कहानी
है...
पाँच : डायरेक्टर साब आप भूल रहे हैं
सूत्रधार : क्या ?
पाँच : इस नाटक में एक नहीं दो कहानियाँ
हैं।
सूत्रधार : हाँ तो भाई ... मैं कह रहा था कि ... इस
नाटक में एक नहीं दो कहानियाँ है...
कोरस : बहुत खूब ... एक टिकट में दो फिल्में
छ: : डायरेक्टर साब आप फिर भूल रहे हैं
सात : अब क्या है भाई ...
सात : इस नाटक में दो नहीं तीन कहानियाँ
है।
कोरस : क्या बात है...
सूत्रधार : बिलकुल इस नाटक में दो नहीं तीन-तीन
कहानियाँ हैं।
आठ : आप बिलकुल भुलक्कड़ हैं डायरेक्टर साब...
इस नाटक में चार – चार कहानियाँ है।
एक : ये नाटक तो कहानियों की किताब है...
कोरस : जिसमें कहिनियाँ बेहिसाब हैं...
आइए करें तमाशा जी... (गाते
हुए मंच का चक्कर लगते हैं)
एक : यह कहानी सीता की है...
दो : जिसके कुछ सपने हैं ।
तीन : यह कहानी गीता की है...
चार : जिसके सपनों पर समाज का पहरा है।
पाँच : यह कहानी अंजली की है...
छ: : जिसका दुख और भी गहरा है।
सात : यह कहानी रीना की है...
आठ : जो सपनों को सच करना चाहती है।
कोरस : ये कहानी हम सब की है....
आइए करें तमाशा जी ...
( अस्पताल का
दृश्य सीता के पिता बेड पर लेटे हैं। दृश्य में सीता के चाचा, चाची व सीता हैं। )
चाची : (सीता को दुलारते हुए) हाय मेरी
प्यारी भतीजी... माँ तो पहले ही मर गई... अब
पिता भी बहुत बीमार हैं। तुम चिंता मत करो... तुम मेरे पास रहना ... मैं तुझे अपनी बेटी की तरह रखूंगी।
(चाचा बाहर आता
है। )
चाचा : बेटी तू अपने पिता के पास बैठ जरा...
चाची : अजी क्या हुआ ?
चाचा : ज्यादा देर नहीं अब
चाची : इतनी देर मत करो जमीन के कागज़ का काम
पहले...
चाचा : हो गया...
(अंदर से सीता
के रोने की आवाज़ आती है। सब रोते हुए सीता के पापा के चारों और घेरा बनाते है।
दृश्य बदलता है। )
गायक : सीता की अब ये कहानी हुई
चाचा-चाची के मन में बेईमानी
हुई...
फंस गई देखो उनके जाल में
सीता कि अब ये कहानी हुई ...
सूत्रधार : लाइट... साउंड... कैमरा... सीन वन... टेक
वन ... एक्शन
चाचा : सीता मेरे कपड़े प्रेस हो गए?
सीता : हाँ, ये रहे
चाचा : ये क्या ! शर्ट जला दी...
चाची : सीता बर्तन माँज दिए ...
सीता : जी चाची ... ये रहे
चाची : ये बर्तन माँजे है? कितने गंदे हैं... (बर्तन फेंकती
है। )
चाचा : मेरे जूते पोलिश हो गए क्या
सीता : जी, ये लो ॥
चाचा : देखो कितने गंदे हैं ... ये पोलिश की
है?
(थप्पड़ मार कर
गिरा देता है।)
चाची : इससे कुछ नहीं होता ... मैं कहती हूँ
इसे घर से निकाल बाहर करो ...
(दोनों उसे
खींच कर घर से बाहर निकाल देते हैं।)
सूत्रधार : कट ... कट ...कट ... माफ कीजिएगा, हम इस कहानी को यहीं रोक रहे हैं।
कोरस : क्यों ? क्यों भाई क्यों ??
सूत्रधार : क्यों कि इससे आगे कहानी कोई भी मोड़ ले
सकती है...
कोरस : जैसे ?
सूत्रधार : सीता के साथ अब कुछ भी हो सकता है।
एक : सीता का अपहरण हो सकता है।
दो : सीता किसी गिरोह के चंगुल में फंस
सकती है।
तीन : उससे भीख मँगवाई जा सकती है।
चार : इसके लिए उसे अपाहिज बनाया जा सकता
है।
पाँच : उससे बाल मजदूरी कारवाई जा सकती है
छ: : उसका बलात्कार किया जा सकता है।
सात : उसे मारा जा सकता है।
कोरस : उसके साथ कुछ भी हो सकता है...
सूत्रधार : ऐसी सीता एक नहीं सैकड़ों हैं...
कोरस : लाखों हैं...
सूत्रधार : करोड़ों हैं...
कोरस : हम सब के आस-पास हैं।
(कोरस धीरे-
धीरे गाता है। )
कोरस : सुनिए अपनी भाषा जी...
आइए करें तमाशा जी...
सूत्रधार : लाइट... साउंड... कैमरा ... सीन टू , टेक वन ... एक्शन
(मंच के दोनों
कोनों पर सामांतर दो दृश्य बनते हैं। एक में बच्चे खेल रहे हैं दूसरे में बड़े बात
कर रहे हैं। )
बच्चे : कोड़ा ए जमालशाही ... पीछे देखे मार खाई ...
बच्चा एक : चलो गुड्डा-गुड्डी का खेल खेलते हैं।
बच्चा दो : हाँ... हाँ... खेलते हैं ...
व्यक्ति एक : और रामलाल जी क्या हाल है
व्यक्ति दो : बहुत अच्छा... आप... आप कैसे हैं?
बच्चा तीन : अरे तेरी गुड़िया तो बहुत सुंदर है...
बच्चा चार : तेरा गुड्डा भी बहुत खूबसूरत है...
व्यक्ति एक : तुम्हारी लड़की बहुत सुंदर है...
व्यक्ति दो : आपका लड़का भी बहुत खूबसूरत है...
बच्चा तीन : तुम्हारी गुड़िया क्या करती है?
बच्चा चार : मेरी गुड़िया तो स्कूल जाती है। तुम्हारा
गुड्डा क्या करता है?
बच्चा तीन : मेरा गुड्डा भी स्कूल जाता है।
व्यक्ति एक : आपकी लड़की क्या करती है?
व्यक्ति दो : मेरी लड़की तो स्कूल जाती है... और आपका लड़का
क्या करता है?
व्यक्ति एक : मेरा गुड्डा भी स्कूल जाता है।
बच्चा तीन : मुझे तुम्हारी गुड़िया पसंद आई
बच्चा चार : मुझे भी आपका गुड्डा पसंद है।
व्यक्ति एक : भाई मुझे आपकी लड़की पसंद है
व्यक्ति दो : मुझे भी आपका लड़का पसंद है।
बच्चा तीन : चलो गुड्डे – गुड्डी की शादी कर देते हैं
व्यक्ति एक : भाई रिश्ता पक्का !
व्यक्ति दो : समझो पक्का बिलकुल पक्का।
व्यक्ति तीन : चलो मुँह मीठा करो।
(शहनाई व बाजे
की आवाज के साथ कलाकार बच्चों के चारों और घूमते हैं। संगीत अब मंत्रोचार में बदल
जाता है। कोरस बच्चों के चारों और घेरे में आ जाता है। )
सूत्रधार : कट... कट... कट... माफ कीजिएगा इस कहानी को हम यही रोक रहे हैं।
कोरस : क्यों (कोरस का प्रत्येक व्यक्ति
बारी-बारी से “क्यों” बोलते हुए पीछे अर्धवृत्त मे खड़े हो जाते हैं। )
चार : सर, हमने मेहनत की है...
पाँच : जम कर रिहर्सल की है...
कोरस : आखिर क्यों रोक रहे हैं ?
सूत्रधार : क्योंकि इससे आगे यह कहानी कोई भी मोड़
ले सकती है।
कोरस : जैसे ?
सूत्रधार : गीता के साथ अब कुछ भी हो सकता है...
एक : उससे दहेज मांगा जा सकता है...
दो : दहेज के लिए पीटा जा सकता है...
तीन : घर से निकाला जा सकता है...
चार : जलाया जा सकता है...
पाँच : उसकी पढ़ाई छुड़वाई जा सकती है...
छ: : वह कम उम्र में माँ बन सकती है...
सात : इस वजह से उसकी मौत भी हो सकती है...
आठ : वह बल विधवा बन सकती है...
नौ : उसकी सारी जिंदगी तबाह हो सकती
है...
कोरस : उसके साथ कुछ भी हो सकता है...
सूत्रधार : ऐसी गीता एक नहीं सैकड़ों हैं...
कोरस : लाखों हैं...
सूत्रधार : करोड़ों हैं...
कोरस : हम सब के आस-पास हैं।
(कोरस धीरे-
धीरे गाता है। )
कोरस : सुनिए अपनी भाषा जी...
आइए करें तमाशा जी...
(मंच के दोनों
छोर पर बारी बारी से सीन बनेंगे पहला सीन पूरा हो जाने पर फ्रीज़ हो जाएगा, दूसरी साइड में दूसरा बनेगा। )
सूत्रधार :
लाइट... साउंड... कैमरा ... सीन थ्री, टेक वन ... एक्शन
(एक लड़की
रास्ते से जा रही है। दो लड़के अपनी बाइक पर आते हैं और चारों ओर बाइक से चक्कर लगाकर
उसे छेड़ते हैं। )
लड़का 1 : अरे यार क्या लड़की है।
लड़का 2 : आजा, चलती है क्या ...
लड़की : बत्तमीज...
सूत्रधार : कट... कट... कट... लाइट... साउंड...
कैमरा... सीन थ्री... टेक टू... एक्शन...
(बस आती है। कंडक्टर
आवाज़ लगा रहा है। बस पर लोग चढ़ते हैं। दो लड़कियां चढ़ती है। उनके पीछे दो लड़के भी
चढ़ जाते है। )
लड़का 3 : अरे देख तेरे आगे वाली को
लड़का 4 : क्या बाल हैं इसके (हाथ पकड़ता है।
लड़की वहाँ से हट जाती है। )
लड़का 3 : आगे वाली को भी देख ( लड़का 4 झटके से
उसके ऊपर झुकता है।)
लड़की 2 : डोंट टच मी...
लड़का 4 : कसम से पूरी अंग्रेज़ है...
सूत्रधार : कट... कट... कट... माफ करना, हम इस नाटक को...
कोरस : हम यहीं समाप्त कर रहे हैं ...
सूत्रधार : नहीं, हम इस नाटक को समाप्त नहीं करेंगे...
कोरस : तो फिर कौन करेगा?
सूत्रधार : (सामने दर्शकों से ) आप करेंगे...
सूत्रधार : (किसी दर्शक विशेष को टार्गेट करते हुए)
जी हाँ, आप करेंगे... क्यों
करेंगे न... आइए जी ... अब मंच आपके
हवाले है। इस दृश्य को यही खत्म करना चाहें तो यहीं
खत्म करें। आगे बढ़ाना चाहें तो आगे बढ़ाएँ। सुखांत बनाना चाहें सुखांत बनाएँ...
दुखांत बनाना चाहें तो दुखांत बनाएँ... आइए .... ( इसी प्रकार दो तीन दर्शकों को मंच पर फ्रीज़ हुए सीन को परिवर्तित
करने को कहें। कोशिश यह हो कि मुद्दे
पर जम कर चर्चा भी हो सके। )
(कृपया अपनी टिप्पणी अवश्य दें। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो शेयर ज़रूर करें। इससे इन्टरनेट पर हिन्दी को बढ़ावा मिलेगा तथा मेरी नाट्यकला व लेखन को प्रोत्साहन मिलेगा। )
दलीप वैरागी
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