tag:blogger.com,1999:blog-9220727675756447147.post1128937052370613934..comments2023-08-19T19:35:06.089+05:30Comments on कथोपकथन: आदतें हमारे शरीर में किसी अंग-सी उग आती हैं |Dalip Vairagi दलीप वैरागीhttp://www.blogger.com/profile/15325054635043636582noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-9220727675756447147.post-15642861825653901742011-06-19T12:00:33.919+05:302011-06-19T12:00:33.919+05:30लेखक महोदय,आपने सही कहा आदते तो संकल्प से ही जुड़ी ...लेखक महोदय,आपने सही कहा आदते तो संकल्प से ही जुड़ी होती है सब यही बहाना बनाते है कि आदत पड़ चुकी अब नही छुटेगी |मुझे एक कहानी याद आ रही है जो बचपन में हमारे गुरूजी सुनाते थे | एक व्यक्ति एक साधू के पास आया और बोला मुझे शराब पीने कि आदत हो गयी मुझसे ये छुटती ही नही है |साधू ने उसे दूसरे दिन आने के लिए कहा |आदमी ने सोचा कोई उपाय तो बताया नही, अब कल और आना पड़ेगा |दूसरे दिन वो फिर गया देखा साधू बाबा ने एक खम्बे को दोनों हाथों से पकड रखा है | व्यक्ति ने बाबा को प्रणाम किया और पूछा बाबा इस खम्बे को क्यों पकड़ रखा है साधू ने कहा मैनें कहाँ पकड़ रखा है ये खम्बा ही मुझे नही छोड़ रहा है कितनी कोशिश कर रहा हू छोड़ ही नही रहा | व्यक्ति को बहुत आश्चर्य हुआ और बोला बाबा आप हाथ हटालो अपने आप छूट जाओगे |साधू बोला खूब कोशिश कर रहा हू छोड़ ही नही रहा |व्यक्ति को बहुत गुस्सा आया और बोला बाबा ये खम्बा तो निर्जीव है ये भी किसी को पकड सकता है क्या? आप खुद इससे दूर चले जाओ|आपको ही ऐसे छोड़ना पड़ेगा अब साधू ने अपने हाथ खोल दिए और बोला मैं तुम्हे ये ही तो समझाने की कोशिश कर रहा हू कि आदत को तुमने पकड़ा है न कि आदत ने तुम्हे!व्यक्ति को अपनी गलती पता चल चुकी थी और उसने अपनी आदत को छोड़ दिया |suman pareekhttps://www.blogger.com/profile/14678769334567597064noreply@blogger.com